Thursday, October 10, 2019

सौराठ सभा का विद्रोह बाबू कुंवर सिंह को अंग्रेज़ों के विरुद्ध विद्रोह करने के प्रेरणा देने वाले उनके गुरु मंगरौनी ग्राम निवासी भिखिया दत्त झा थे. इस घटना के बाद फिरंगियों के मन में मैथिलों के लिए शंका बस गयी. उसके ठीक 15 साल बाद मधुबनी के सदर एसडीओ जे बार्लो पिटा गए.
17 मई सन 1872 को बार्लो साहेब मधुबनी जिलाअवस्थित सौराठ गाछी सभा में तहकीकात करने पहुँच गए. मैथिल पहले से फिरंगियों से नफरत करते थे उन्होंने बार्लो साहेब को ओधबाध कर पीटा। इस ओधबाध की शुरुवात बुचो झा, भैया झा, शोभालाल झा, चुन्नी झा, गिरिजा मिश्र, तूफानी झा जैसे लोगों ने की थी.
थाना मुकदमा हुआ कई लोगों को दो साल कैद बामुशक्कत व 300 रूपये से लेकर 500 रूपये तक जुर्माना भी हुआ था . इसमें से दो लोग तो नेपाल भाग गए थे. जांच कमीशन भी बैठा।
इस घटना का विवरण लोककंठ में बसी कुछ कविताओं में मिलता है इस लम्बी कविता की कुछ पंक्तियाँ इस प्रकार से है. बाबूजी के पास पूरी कविता है जिसका कुछ अंश उन्होंने मुझे सुनाया।
"बालू साह मजिस्टर हाकिम साविन नाका दपरी
मध्य सभा में जखने पैसल तखने बाजल थपड़ी
दू चारि लुच्चा धरि पछुआबय साहेब के खूब मार"
इस घटना के बाद अंग्रेज़ों ने सौराठ, पोखरौनी, मांगड़, अरेर, मंगरौनी ग्राम में खूब लूटपाट किया था. उस समय पटना डिवीजन के के तत्कालीन कमिश्नर एस.सी. बेली ने जांच की थी. अपने रिपोर्ट में बेली ने कहा था की मैथिलों के मन में अंग्रेज़ों के प्रति अनुचित वैमनष्यता भरी हुई है जो खतरनाक है.
ब्रिटिश सरकार ने सौराठ सभा गाछी प्र प्रतिबन्ध लगाने की योजना भी बनायीं लेकिन ऐसा करने का साहस नहीं किया।

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